SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० प्रज्ञापना सूत्र * * * * * * ** * * * * * * * * * * * * * * * * ** * * * ** * * * * **- * -*-*-* * -- - *- *-* - *13* केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य अपढम समय अजोगि केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य। अहवा चरिम समय अजोगि केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य अचरिम समय अजोगि केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य से तं अजोगि केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया। से तं वीयराय चरित्तारिया। प्रश्न - अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर - अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - प्रथम समय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य और अप्रथम समय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य। अथवा चरम समय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य और अचरम समय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य। इस प्रकार अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य कहे हैं। इस प्रकार केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य कहे हैं। यह वीतराग चारित्र आर्य का वर्णन हुआ। . अहवा चरित्तारिया पंचविहा पण्णत्ता। तंजहा - सामाइयचरित्तारिया, छेओवट्ठावणियचरित्तारिया, परिहारविशुद्धियचरित्तारिया, सुहमसंपराय चरित्तारिया, • अहक्खाय चरित्तारिया य। से किं तं सामाइय चरित्तारिया? सामाइय चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - इत्तरिय सामाइय चरित्तारिया य आवकहिय सामाइय चरित्तारिया य। से तं सामाइय चरित्तारिया। अथवा चारित्र आर्य पांच प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. सामायिक चारित्र आर्य २. छेदोपस्थापनीय चारित्र आर्य ३. परिहार विशुद्धिक चारित्र आर्य ४. सूक्ष्मसंपराय चारित्र आर्य और ५. यथाख्यात चारित्र आर्य। प्रश्न - सामायिक चारित्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर - सामायिक चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - १. इत्वरिकसामायिक चारित्र आर्य और २. यावत्कथिक सामायिक चारित्र आर्य। इस प्रकार सामायिक चारित्र आर्य कहे हैं। से किं तं छेओवट्ठावणिय चरित्तारिया? छेओवट्ठावणिय चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - साइयार छेओवट्ठावणिय चरित्तारिया य णिरइयार छेओवट्ठावणिय चरित्तारिया य। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004093
Book TitlePragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy