________________
प्रथम प्रज्ञापना पद - पंचेन्द्रिय जीव प्रज्ञापना
१३३
***********************************************************************-*-*-*-*-*-*-
*-*-N
e t
उत्तर - केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य दो प्रकार के कहे गए हैं। यथा - सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य और अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य।
प्रश्न - सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य कितने प्रकार के कहे हैं?
उत्तर - सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - प्रथम समय सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य और अप्रथम समय सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य अथवा चरम समय सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य और अचरम समय सयोगी केवलि क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य। इस प्रकार सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य कहे हैं।
से किं तं अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया? अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - पढम समय-अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य अपढम समय अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य। अहवा चरिम समय अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य अचरिम समय अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य। से तं अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया। से तं केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया। से तं खीण कसाय वीयराय दंसणारिया। से तं केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया। से तं खीण कसाय वीयराय दंसणारिया। से तं दंसणारिया॥७५॥
प्रश्न - अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं? . उत्तर - अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार है- प्रथम समय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य और अप्रथम समय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य अथवा चरमसमय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य और अचरम समय अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य। इस प्रकार अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य कहे हैं। इस प्रकार केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य कहे हैं। यह क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्यों का वर्णन हुआ है। यह दर्शन आर्य की प्ररूपणा हुई।
विवेचन - जो दर्शन राग अर्थात् कषाय से रहित हो वह वीतराग दर्शन कहलाता है। वीतराग दर्शन की अपेक्षा से आर्य वीतराग दर्शन आर्य कहलाते हैं। वीतराग दर्शन दो प्रकार का है - उपशान् । कषाय और क्षीण कषाय। जो उपशांत कषाय के कारण आर्य हैं वे उपशांत कषाय दर्शन आर्य और जो
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org