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प्रज्ञापना सूत्र
दर्शन आर्य और अचरम समय स्वयंबुद्ध छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य। इस प्रकार स्वयंबुद्ध छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य कहे गये हैं।
से किं तं बुद्धबोहिय छउमत्थ खीण कसाय वीयराय दंसणारिया? बुद्धबोहिय छउमत्थ खीण कसाय वीयराय दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - पढम समय बुद्धबोहिय खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य अपढम समय बुद्धबोहिय छउमत्थ खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य। अहवा चरिम समय बुद्धबोहिय छउमत्थ खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य। अचरिम समय बुद्धबोहिय छउमत्थ खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य। सेत्तं बुद्धबोहिय छउमत्थ खीण कसाय वीयराय दंसणारिया। से तं छउमत्थ खीण कसाय वीयराय दंसणारिया।
प्रश्न - बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं।
उत्तर - बुद्ध बोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं- प्रथम समय बुद्ध बोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य और अप्रथम समय बुद्ध बोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतरागदर्शन आर्य अथवा चरमसमय बुद्ध बोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य और अचरम समय बद्ध बोधित छदमस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य। इस प्रकार बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीणकषाय वीतराग दर्शन आर्य कहे गये हैं। यह उद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शन आर्य का वर्णन हुआ।
से किं तं केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया? केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-सयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य अयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य। से किं तं सयोगि केवलि खीण कसाय वीयराग दंसणारिया? सयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - पढम समय सयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य अपढम समय सयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य।अहवा चरिम समय सयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य अचरिम समय सयोगि केवलि खीण कसाय वीयराय दंसणारिया य। से तं सयोगि केवंलिखीण कसाय वीयराय दंसणारिया।
प्रश्न - केवली क्षीणा कषाय वीतराग दर्शन आर्य कितने प्रकार के कहे हैं?
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