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प्रज्ञापना सूत्र
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उत्तर - वितत पक्षी एक ही आकार प्रकार के होते हैं। वे यहाँ नहीं होते। वे मनुष्य क्षेत्र से बाहर के द्वीप समुद्रों में होते हैं। यह वितत पक्षी का कथन हुआ।
वे खेचर प्राणी संक्षेप में दो प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - सम्मूछिम और गर्भज। इनमें से जो सम्मूछिम हैं वे सभी नपुंसक होते हैं। इनमें से जो गर्भज हैं वे तीन प्रकार के कहे गये हैंस्त्री, पुरुष, नपुंसक। इस प्रकार पर्याप्त और अपर्याप्त खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों के बारह लाख जाति कुल कोटि-योनि प्रमुख होते हैं। ऐसा कहा गया है।
बेइन्द्रिय जीवों की सात लाख जाति कुल कोटि, तेइन्द्रिय की आठ लाख, चउरिन्द्रिय की नौ लाख, जलचर तिर्यंच पंचेन्द्रियों की साढ़े बारह लाख, चतुष्पद स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रियों की दस लाख, उरपरिसर्प तिर्यंच पंचेन्द्रियों की दस लाख, भुजपरिसर्प तिर्यंच पंचेन्द्रियों की नौ लाख, खेचर तिर्यंच पंचेन्द्रियों की बारह लाख, इस प्रकार बेइन्द्रिय से लेकर खेचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय तक क्रमशः जाननी चाहिये। इस प्रकार खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक कहे गये हैं। यह पंचेन्द्रिय तिर्यच योनिकों का वर्णन हुआ।
विवेचन - प्रश्न - खेचर किसे कहते हैं ?
उत्तर - आकाश में उड़ने वाले पक्षियों को खेचर प्राणी कहते हैं। आकाश के पर्यायवाची अनेक शब्द हैं तथापि आगम में प्रायः तीन शब्दों का प्रयोग विशेष रूप से देखने में आता है। यथा - ख, खे, खह। इसलिए तीन शब्दों का प्रयोग होता है यथा - खचर, खेचर, खहचर। यहाँ मूल पाठ में खहचर शब्द दिया गया है तथा चर का अर्थ है विचरण करने वाले। अतः पूरे शब्द का अर्थ यह हुआ कि "खे" अर्थात् आकाश में 'चर' अर्थात् विचरण करने वाले प्राणी खेचर कहलाते हैं।
प्रश्न - चर्मपक्षी किसे कहते हैं? उत्तर - चर्ममय अर्थात् चमडे की पंख वाले पक्षी चर्मपक्षी कहलाते हैं। जैसे-चपगादड आदि। प्रश्न - रोम पक्षी किसे कहते हैं ?
उत्तर - रोममय अर्थात् रोम की पंख वाले पक्षी रोम पक्षी कहलाते हैं। जैसे हंस, बगुला, चीडी, कबूतर आदि।
प्रश्न - समुद्गक पक्षी किसे कहते हैं?
उत्तर - समुद्गक का अर्थ है डिब्बा। जिन पक्षियों के पंख बैठे हुए या उडते हुए भी डिब्बे की तरह बन्द ही रहते हैं। खुलते नहीं है उन्हें समुद्गक पक्षी कहते हैं।
प्रश्न - वितत पक्षी किसे कहते हैं? उत्तर - वितत का अर्थ है फैला हुआ। बैठे हुए अथवा उडते हुए जिन पक्षियों के पंख हमेशा
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