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प्रज्ञापना सूत्र ******************* सभी सम्मूच्छिम और नपुंसक हैं। ये दो प्रकार के कहे गये हैं-पर्याप्त और अपर्याप्त। इन पर्याप्त और अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय जीवों की नौ लाख जाति कुल कोटि होती है, ऐसा तीर्थंकर भगवन्त ने कहा है। यह चतुरिन्द्रिय संसार समापन्न जीव प्रज्ञापना हुई।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में चतुरिन्द्रिय - चार इन्द्रिय (स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय और चक्षुइन्द्रिय) वाले जीवों का निरूपण किया गया है। इनमें कितनेक जीव प्रसिद्ध हैं और कितने ही जीव अप्रसिद्ध हैं। कृष्णपत्र से विचित्रपक्ष तक के नाम तितलियों के समझने चाहिये।
पंचेन्द्रिय जीव प्रज्ञापना से किं तं पंचिंदिय संसार समावण्ण जीव पण्णवणा? पंचिंदिय संसार समावण्ण जीव पण्णवणा चउव्विहा पण्णत्ता। तंजहा-णेरइय पंचिंदिय संसार समावण्ण जीव पण्णवणा, तिरिक्खजोणिय पंचिंदिय संसार समावण्ण जीव पण्णवणा, मणुस्स पंचिंदिय संसार समावण्ण जीव पण्णवणा, देव पंचिंदिय संसार समावण्ण जीव पण्णवणा॥४७॥
भावार्थ - प्रश्न - पंचेन्द्रिय संसार समापन्न जीव प्रज्ञापना कितने प्रकार की कही गयी है ?
उत्तर - पंचेन्द्रिय संसार समापन जीव प्रज्ञापना चार प्रकार की कही गयी है। वह इस प्रकार है१. नैरयिक पंचेन्द्रिय संसार समापन्न जीव प्रज्ञापना २. तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रिय संसार समापन्न जीव प्रज्ञापना ३. मनुष्य पंचेन्द्रिय संसार समापन्न जीव प्रज्ञापना और ४. देव पंचेन्द्रिय संसार समापन जीव प्रज्ञापना।
नैरयिक जीव - से किं तं णेरइया ? णेरइया सत्तविहा पण्णत्ता तंजहा - १. रयणपभापुढवी णेरइया २. सक्करप्पभा पुढवीणेरइया ३. वालुयप्पभा पुढवीणेरड्या ४. पंकप्पभा पुढवी जेरइया ५. धूमप्पभा पुढवीणेरइया ६. तमप्पभा पुढवीणेरइया ७. तमतमप्पभा पुढवी जेरइया। ते समासओ दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य। से तं णेरइया॥४८॥
भावार्थ - प्रश्न - नैरयिक कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - नैरयिक सात प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. रत्नप्रभा पृथ्वी नैरयिक २. शर्कराप्रभा पृथ्वी नैरयिक ३. वालुकाप्रभा पृथ्वी नैरयिक ४. पंकप्रभा पृथ्वी नैरयिक ५. धूमप्रभा पृथ्वी
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