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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ३ संस्थान के प्रदेश
संखेज्जाओ, असंखेजाओ, अनंताओ ?
४३ उत्तर - गोयमा ! णो संखेज्जाओ, णो असंखेजाओ, अणंताओ । एवं पाईणपडीणाययाओ वि, एवं दाहिणुत्तराययाओ वि एवं उमहाययाओ वि ।
भावार्थ - ४३ प्रश्न - हे भगवन् ! अलोकाकाश की श्रेणियाँ द्रव्यार्थ रूप से संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ?
४३ उत्तर - हे गौतम! संख्यात नहीं और असंख्यात भी नहीं, अनन्त हैं । इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम लम्बी, दक्षिण-उत्तर लम्बी तथा ऊर्ध्व-अधो लम्बी अलोकाकाश की श्रेणियां भी हैं ।
४४ प्रश्न - सेढीओ णं भंते ! परसट्टयाए किं सखेज्जाओ ? ४४ उत्तर - जहा दव्वट्टयाए तहा पट्टयाए वि जाव उड्दमहाययाओ वि सव्वाओ अनंताओ ।
भावार्थ - ४४ प्रश्न - हे भगवन् ! आकाश की श्रेणियां प्रदेशार्थ रूप से संख्यात हैं, ०
४४ उत्तर - हे गौतम! द्रव्यार्थवत् यावत् ऊर्ध्व और अधो लम्बी सभी श्रेणियां अनन्त हैं ।
४५ प्रश्न - लोगागाससेढीओ णं भंते ! परसट्टयाए किं संखेज्जाओ - पुच्छा |
४५ उत्तर - गोयमा ! सिय संखेज्जाओ, सिय असंखेजाओ, गो अनंताओ । एवं पाईणपडीणाययाओ वि, दाहिणुत्तराययाओ वि एवं
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