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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ संस्थान के प्रदेश ३२४५ रूप से संख्यात हैं ? ४० उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार दक्षिण और उत्तर लम्बी तथा ऊर्ध्व और अधो लम्बी श्रेणियों के विषय में भी जानना चाहिये । ४१ प्रश्न-लोगागाससेढीओ णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं संखे. जाओ, असंखेजाओ, अणंताओ ? ४१ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजाओ, असंखेजाओ, णो अणं. ताओ। भावार्थ-४.१ प्रश्न-हे भगवन् ! लोकाकाश की श्रेणियाँ द्रव्यार्थ रूप से संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ? ४१ उत्तर-हे गौतम! संख्यात नहीं, अनन्त भी नहीं, किन्तु असंख्यात हैं। ४२ प्रश्न-पाईणपडीणाययाओ णं भंते ! लोगागाससेढीओ दव्वट्टयाए कि संखेजाओ० ? ४२ उत्तर-एवं चेव, एवं दाहिणुचराययाओ वि, एवं उड्ढमहाययाओ वि। ____ भावार्थ-४२ प्रश्न-हे भगवन् ! पूर्व-पश्चिम लम्बी लोकाकाश की श्रेणियां द्रव्यार्थ रूप से संख्यात हैं ? ४२ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार दक्षिण-उत्तर लम्बी तथा ऊर्ध्व अधो लम्बी लोकाकाश की श्रेणियां भी हैं। ४३ प्रश्न-अलोगागाससेढीओ णं भंते ! दवट्टयाए किं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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