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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ३ संस्थान के प्रदेश पुच्छा । २५ उत्तर - गोयमा ! सिय कडजुम्मे, सिय तेयोगे, सिय दावरजुम्मे, सिय कलियोए । एवं जाव आयए । भावार्थ-२५ प्रश्न-हे भगवन् ! परिमण्डल संस्थान प्रदेशार्थ रूप से कृतयुग्म है o ? २५ उत्तर - हे गौतम! कदाचित् कृतयुग्म, त्र्योज, द्वापरयुग्म और कदाचित् कल्योज है, यावत् आयत संस्थान पर्यन्त । २६ प्रश्न - परिमंडला णं भंते! संटाणा परसट्टयाए किं कडजुम्मा - पुच्छा । २६ उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि, तेयोगा वि, दावरजुम्मा वि कलियोगा वि । एवं जाव आयया । ३२३७ कठिन शब्दार्थ - ओघादेसेणं - ओघादेश - - सामान्य रूप से, विहाणावेसेणं- विधानादेश -- प्रत्येक की अपेक्षा से । भावार्थ - २६ प्रश्न - हे भगवन् ! परिमण्डल संस्थान प्रदेशार्थ रूप से कृतयुग्म है ० ? २६ उत्तर - हे गौतम ! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज होते हैं । विधानादेश से कृतयुग्म भी होते हैं, त्र्योज भी, द्वापरयुग्म भी और कल्पोज भी होते हैं, यावत् आयत संस्थान तक । Jain Education International २७ प्रश्न-परिमंडले णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्मपएसोगाढे जाव कलियोगपएसोगाढे ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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