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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ संस्थान के प्रदेश
___ २१ उत्तर-गोयमा ! आयए णं संठाणे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-सेढिआयए, पयरायए, धणायए । तत्थ णं जे से सेहिआयए से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य । तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपएसिए-तं चेव । तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं दुपएसिए दुपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ णं जे से पयरायए से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं पण्णरसपएसिए पण्णरसपएसोगाढे, उकोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ णं जे से घणायए से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य । तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं पणयालीसपएसिए पणयालीसपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ ण जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं बारसपएसिए बारसपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव।
भावार्थ-२१ प्रश्न-हे भगवन् ! आयात संस्थान कितने प्रदेश का और कितने प्रदेशावगाढ़ होता है ?
२१ उत्तर-हे गौतम ! आमत संस्थान तीन प्रकार का है-श्रेणीआयत, प्रतरआयत और घनआयत । श्रेणीआयत के दो भेद हैं । यथा-ओजप्रवेश और युग्मप्रवेश । ओजप्रदेश श्रेणीआयत, जघन्य तीन प्रदेश और तीन
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