SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२३० भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ संस्थान के प्रदेश ___ २१ उत्तर-गोयमा ! आयए णं संठाणे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-सेढिआयए, पयरायए, धणायए । तत्थ णं जे से सेहिआयए से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य । तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपएसिए-तं चेव । तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं दुपएसिए दुपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ णं जे से पयरायए से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं पण्णरसपएसिए पण्णरसपएसोगाढे, उकोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ णं जे से घणायए से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य । तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं पणयालीसपएसिए पणयालीसपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव । तत्थ ण जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं बारसपएसिए बारसपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंत० तहेव। भावार्थ-२१ प्रश्न-हे भगवन् ! आयात संस्थान कितने प्रदेश का और कितने प्रदेशावगाढ़ होता है ? २१ उत्तर-हे गौतम ! आमत संस्थान तीन प्रकार का है-श्रेणीआयत, प्रतरआयत और घनआयत । श्रेणीआयत के दो भेद हैं । यथा-ओजप्रवेश और युग्मप्रवेश । ओजप्रदेश श्रेणीआयत, जघन्य तीन प्रदेश और तीन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy