SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२२४ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ३ संस्थान पाँच परिमण्डल संस्थान है, वहाँ अन्य परिमण्डल संस्थान संख्यात हैं, असंख्यात हैं, या अनन्त हैं ? १३ उत्तर - हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, अनन्त हैं । १४ प्रश्न - हे भगवन् ! वहाँ वृत्त संस्थान संख्यात हैं० ? १४ उत्तर - हे गौतम ! पूर्ववत्, यावत् आयत संस्थान तक । १५ प्रश्न - हे भगवन् ! जहाँ यवाकार एक वृत्त संस्थान है, वहाँ परिमण्डल संस्थान कितने हैं ? १५ उत्तर - हे गौतम! पूर्ववत् । वहाँ वृत्त संस्थान यावत् आयत संस्थान भी इसी प्रकार अनन्त हैं । प्रत्येक संस्थान के साथ पाँचों संस्थानों के सम्बन्ध का विचार करना चाहिये ।. १६ प्रश्न - जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवी एगे परिमंडले ठाणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेजापुच्छा । । १६ उत्तर - गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेज्जा, अनंता । प्रश्न- वट्टा णं भंते! संठाणा किं संखेजा ? उत्तर - एवं चेव, एवं जाव आयया । १७ प्रश्न - जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वट्टे संठाणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेजापुच्छा। Jain Education International १७ उत्तर - गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेजा, अनंता । वट्टा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया । एवं पुणरवि एक्के केणं संठा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy