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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ३ संस्थान पाँच
परिमण्डल संस्थान है, वहाँ अन्य परिमण्डल संस्थान संख्यात हैं, असंख्यात हैं, या अनन्त हैं ?
१३ उत्तर - हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, अनन्त हैं । १४ प्रश्न - हे भगवन् ! वहाँ वृत्त संस्थान संख्यात हैं० ?
१४ उत्तर - हे गौतम ! पूर्ववत्, यावत् आयत संस्थान तक ।
१५ प्रश्न - हे भगवन् ! जहाँ यवाकार एक वृत्त संस्थान है, वहाँ परिमण्डल संस्थान कितने हैं ?
१५ उत्तर - हे गौतम! पूर्ववत् । वहाँ वृत्त संस्थान यावत् आयत संस्थान भी इसी प्रकार अनन्त हैं । प्रत्येक संस्थान के साथ पाँचों संस्थानों के सम्बन्ध का विचार करना चाहिये ।.
१६ प्रश्न - जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवी एगे परिमंडले ठाणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेजापुच्छा ।
।
१६ उत्तर - गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेज्जा, अनंता । प्रश्न- वट्टा णं भंते! संठाणा किं संखेजा ?
उत्तर - एवं चेव, एवं जाव आयया ।
१७ प्रश्न - जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वट्टे संठाणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेजापुच्छा।
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१७ उत्तर - गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेजा, अनंता । वट्टा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया । एवं पुणरवि एक्के केणं संठा
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