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________________ ३२२२ वि । भगवती सूत्र - श. २५ उ. ३ संस्थान पाँच ८ उत्तर - गोयमा ! णो संखेज्जा, जो असंखेज्जा, अनंता । ९ प्रश्न - वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा, असंखेजा० ? ९ उत्तर - एवं चेव, एवं जाव आयया । १० प्रश्न - सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए परिमंडला संठाणा ०? १० उत्तर - एवं चेव, एवं जाव आयया । एवं जाव अहेसत्तमाए । ११ प्रश्न - सोहम्मे णं भंते! कप्पे परिमंडला संठाणा० ? ११ उत्तर - एवं चेव, एवं जाव अच्चुए । १२ प्रश्न - गेवेज्ज विमाणाणं भंते ! परिमंडलसंटाणा० ? १२ उत्तर - एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेसु वि, एवं ईसिफभाराए भावार्थसंख्यात हैं, असंख्यात है, या अनन्त है ? ८ उत्तर - हे गौतम! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, किन्तु अनन्त हैं । ९ प्रश्न - हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में वृत्त संस्थान संख्यात हैं, असंख्यात हैं, या अनन्त हैं ? ९ उत्तर - हे गौतम ! पूर्ववत् यावत् आयत संस्थान पर्यंत । - १० प्रश्न - हे भगवन् ! शर्कराप्रभा पृथ्वी में परिमण्डल संस्थान संख्यात हैं, इत्यादि ? -८ प्रश्न हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में परिमण्डल संस्थान १० उत्तर - हे गौतम ! पूर्ववत् यावत् आयत संस्थान तक और अध:सप्तम पृथ्वी पर्यंत । Jain Education International इत्यादि ? ११ प्रश्न - हे भगवन् ! सौधर्मकल्प में परिमण्डल संस्थान संख्यात हैं, For Personal & Private Use Only } www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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