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________________ संस्थान पाँच .. MDMIPARAw ५ प्रश्न-कइ णं भंते ! संठाणा पण्णत्ता ? ५ उत्तर-गोयमा ! पंच संठाणा पण्णत्ता, तं जहा-परिमंडले, जाव आयये। ६ प्रश्न-परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं संखेजा, असंखेजा, अणंता ? ६ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेजा, अणंता । ७ प्रश्न-वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेजा० ? ७ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव आयया । भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! संस्थान कितने प्रकार के कहे हैं ? ... ५ उत्तर-हे गौतम ! संस्थान पांच कहे हैं। यथा-परिमण्डल यावत् • आयत । ६ प्रश्न-हे भगवन् ! परिमण्डल संस्थान संख्यात हैं, असंख्यात हैं, या अनन्त हैं ? ६ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, परन्तु अनन्त हैं। ७ प्रश्न-हे भगवन् ! वृत्त संस्थान संख्यात हैं, असंख्यात हैं, या अनन्त हैं ? ७ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । यावत् आयत संस्थान पर्यंत । ८ प्रश्न-इमीसे गं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला संठाणा किं संखेजा, असंखेजा, अर्णता ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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