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________________ . ३२१८ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ संस्थान के भेद और अल्प-बहुत्व २ प्रश्न-परिमंडला गं भंते ! संठाणा दवट्ठयाए कि संखेजा, असंखेजा, अणता ? २ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेजा, अणंता। .. भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! परिमण्डल संस्थान द्रव्यार्थ रूप से संख्यात हैं, असंख्यात है, या अनन्त हैं ? २ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, किन्तु अनन्त हैं। ३ प्रश्न-पट्टा णं भंते ! संठाणा० ? ३ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव अणित्थंथा, एवं पएसट्टयाए वि, एवं दवट्ठपएसट्टयाए वि। भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! वृत्त संस्थान द्रव्यार्थ रूप से संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त है ? - ३ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, अनन्त हैं। इसी प्रकार यावत् अनित्यंस्थ संस्थान पर्यन्त । इसी प्रकार प्रदेशार्य रूप से और द्रव्यार्थप्रवेशार्थ रूप से भी जानना चाहिये। ४ प्रश्न-एएसि णं भंते ! परिमंडल-बट्ट-तंस-चउरंस आयतअणित्थंथाणं संठाणाणं दबट्टयाए परसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ? ४ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दवट्ठयाए, वट्टा संठाणा दवट्ठयाए संखेजगुणा, चउरंसा संठाणा दवट्ठयाए संखेज. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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