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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ संस्थान के भेद और अल्प-बहुत्व
२ प्रश्न-परिमंडला गं भंते ! संठाणा दवट्ठयाए कि संखेजा, असंखेजा, अणता ?
२ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेजा, अणंता। ..
भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! परिमण्डल संस्थान द्रव्यार्थ रूप से संख्यात हैं, असंख्यात है, या अनन्त हैं ?
२ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, किन्तु अनन्त हैं।
३ प्रश्न-पट्टा णं भंते ! संठाणा० ?
३ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव अणित्थंथा, एवं पएसट्टयाए वि, एवं दवट्ठपएसट्टयाए वि।
भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! वृत्त संस्थान द्रव्यार्थ रूप से संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त है ? - ३ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, अनन्त हैं। इसी प्रकार यावत् अनित्यंस्थ संस्थान पर्यन्त । इसी प्रकार प्रदेशार्य रूप से और द्रव्यार्थप्रवेशार्थ रूप से भी जानना चाहिये।
४ प्रश्न-एएसि णं भंते ! परिमंडल-बट्ट-तंस-चउरंस आयतअणित्थंथाणं संठाणाणं दबट्टयाए परसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ?
४ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दवट्ठयाए, वट्टा संठाणा दवट्ठयाए संखेजगुणा, चउरंसा संठाणा दवट्ठयाए संखेज.
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