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________________ भगवती सूत्र-श. ४१ उ. ४ * 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति ४१-३ ॥तईओ उद्देसो समत्तो ॥ भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन ! वे जीव जिस समय द्वापरयुग्म होते हैं, उस समय कृतयुग्म होते हैं अथवा जिस समय कृतयुग्म होते हैं, उस समय द्वापरयुग्म होते हैं ? २ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं । इस प्रकार योज राशि और कल्योज राशि के साथ भी जानो। शेष प्रथम उद्देशक के अनुसार यावत् वैमानिक पर्यन्त । और.. ॥ इकतालीसवें शतक का तीसरा उद्देशक सम्पूर्ण ॥ शतक ४१ उद्देशक ४ १ प्रश्न-रासीजुम्मकलिओगणेरइया णं भंते ! कओ उववजंति ? १ उत्तर-एवं । णवरं परिमाणं-एको वा पंच वा णव वा तेरस वा संखेजा वा असंखेजा उववज्जति, संवेहो । भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! राशि-युग्म में कल्योज राशि नरयिक कहां से आते हैं ? ... उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । परिमाण एक, पांच, नौ, तेरह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं । संवेध पूर्ववत् । २ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा जं समयं कलिओगा तं समयं कड. जुम्मा; जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलिओगा ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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