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भगवती सूत्र-स. ४१ उ. १
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भावार्थ-२० प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे सक्रिय होते हैं, तो उसी भव में सिद्ध होते हैं, यावत सभी दुःखों का अन्त करते हैं ? ।
२० उत्तर-हे गौतम ! कितने ही उसी भव में सिद्ध होते हैं, यावत् सभी दुःखों का अन्त करते हैं और कितने ही उसी भव में सिद्ध नहीं होते, यावत् सभी दुःखों का अन्त नहीं करते।
२१ प्रश्न-जइ आयअजसं उवजीवंति किं सलेस्सा, अलेस्सा ? २१ उत्तर-गोयमा ! सलेस्सा, णो अलेस्सा ?
भावार्थ-२१ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे आत्म-अयश जीवन वाले हैं, तो सलंशी होते हैं या अलेशी ?
२१ उत्तर-हे गौतम ! वे सलेशी होते हैं, अलेशी नहीं होते।
२२ प्रश्न-जह सलेस्सा किं सकिरिया, अकिरिया ? २२ उत्तर-गोयमा ! सकिरिया, णो अकिरिया ।
भावार्थ-२२ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे सलेशी होते हैं, तो सक्रिय होते हैं अथवा अक्रिय ?
२२ उत्तर-हे गौतम ! वे सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते।
२३ प्रश्न-जह सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव अंतं करेंति ?
२३ उत्तर-णो इणढे समटे । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा णेरइया ।
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