SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 640
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र-श. ४१ उ. १ ९ उत्तर-गोयमा ! णो आयजसेणं उववजंति, आयअजसेणं उववजंति । कठिन शब्दार्थ-आयजसेणं-आत्म-यश से-अपने संयम से । भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव आत्म-यश (आत्म संयम) से उत्पन्न होते हैं अथवा आत्म-अयश (आत्म-असंयम) से उत्पन्न होते हैं ? ९ उत्तर-हे गौतम ! वे आत्म-यश से उत्पन्न नहीं होते, आत्म-अयश से उत्पन्न होते हैं। १० प्रश्न-जइ आयअजसेणं उपवजंति किं आयजसं उवजीवंति, आयअजसं उवजीवंति ? १० उत्तर-गोयमा ! णो आयजसं उवजीवंति, आयअजसं उवजीवंति। भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे आत्म-अयश से उत्पन्न होते हैं, तो आत्म-यश से जीवन चलाते हैं अथवा आत्म-अयश से जीवन-निर्वाह करते हैं ? १० उत्तर-हे गौतम ! वे आत्म-यश से जीवन-निर्वाह नहीं करते, परन्तु आत्म-अयश से करते हैं। ११ प्रश्न-जह आयअजसं उवजीवंति किं सलेस्सा, अलेस्सा ? ११ उत्तर-गोयमा ! सलेस्सा, णो अलेस्सा। भावार्थ-११ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे आत्म-अयश से जीवन-निर्वाह करते हैं, तो वे सलेशी होते हैं अथवा अलेशी ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy