SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 639
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७९० भगवती सूत्र - श. ४१ उ. १ भावार्थ - ६ प्रश्न - हे भगवन् ! जिस समय वे कृतयुग्म होते हैं, उस समय द्वापरयुग्म होते हैं और जिस समय द्वापरयुग्म होते हैं, उस समय कृतयुग्म होते हैं ? ६ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं । ७ प्रश्न - जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलिओगा, जं समयं कलिओगा तं समयं कडजुम्मा ? ७ उत्तर - णो इणट्टे समट्ठे । भावार्थ-७ प्रश्न- हे भगवन् ! जिस समय कृतयुग्म राशि होते हैं, उस समय कल्योज राशि होते हैं और जिस समय कल्योज राशि होते हैं, उस समय कृतयुग्म राशि होते हैं ? ७ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं । ८ प्रश्न- ते णं भंते ! जीवा कहिं उववज्जंति ? ८ उत्तर - गोयमा ! से जहा णामए पवए पवमाणे - एवं जहा उववायसर जाव णो परप्पओगेणं उववज्र्जति' । भावार्थ-८ प्रश्न - हे भगवन् ! वे जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ? ८ उत्तर - हे गौतम ! जैसे कोई कूबने वाला इत्यादि इकत्तीसवें शतक के प्रथम उपपात उद्देशक के अनुसार, यावत् वे आत्म-प्रयोग से उत्पन्न होते हैं, पर प्रयोग से नहीं । ९ प्रश्न - ते णं भंते ! जीवा किं आयजसेणं उववज्जंति, आयअजसेणं उववज्जंति ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy