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भगवती सूत्र - श. ४१ उ. १
भावार्थ - ६ प्रश्न - हे भगवन् ! जिस समय वे कृतयुग्म होते हैं, उस समय द्वापरयुग्म होते हैं और जिस समय द्वापरयुग्म होते हैं, उस समय कृतयुग्म होते हैं ? ६ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं ।
७ प्रश्न - जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलिओगा, जं समयं कलिओगा तं समयं कडजुम्मा ?
७ उत्तर - णो इणट्टे समट्ठे ।
भावार्थ-७ प्रश्न- हे भगवन् ! जिस समय कृतयुग्म राशि होते हैं, उस समय कल्योज राशि होते हैं और जिस समय कल्योज राशि होते हैं, उस समय कृतयुग्म राशि होते हैं ?
७ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं ।
८ प्रश्न- ते णं भंते ! जीवा कहिं उववज्जंति ?
८ उत्तर - गोयमा ! से जहा णामए पवए पवमाणे - एवं जहा उववायसर जाव णो परप्पओगेणं उववज्र्जति' ।
भावार्थ-८ प्रश्न - हे भगवन् ! वे जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ? ८ उत्तर - हे गौतम ! जैसे कोई कूबने वाला इत्यादि इकत्तीसवें शतक के प्रथम उपपात उद्देशक के अनुसार, यावत् वे आत्म-प्रयोग से उत्पन्न होते हैं, पर प्रयोग से नहीं ।
९ प्रश्न - ते णं भंते ! जीवा किं आयजसेणं उववज्जंति, आयअजसेणं उववज्जंति ?
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