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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. २ जीव, स्थिर द्रव्य ग्रहण करता है या अस्थित ३२१५ १३ उत्तर - एवं जहा भासापए, जाव 'आणुपुविं गेव्हह, णो अणापुवि गेह' । भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! जिन द्रव्यों को जीव ग्रहण करता है, वे एक प्रदेश वाले होते हैं, या दो प्रदेशी, इत्यादि ? १३ उत्तर - हे गौतम ! प्रज्ञापना सूत्र के 'भाषा' नामक ग्यारहवें पद के अनुसार, यावत् आनुपूर्वी ( क्रमपूर्वक ) ग्रहण करता है, अनानुपूर्वी ( ऋप रहित ) नहीं । १४ प्रश्न - ताई भंते! कइदिसिं गेण्हह ? १४ उत्तर - गोयमा ! णिव्वाघापणं० जहा ओरालियम्स । भावार्थ - १४ प्रश्न - हे भगवन् ! जीव कितनी दिशाओं से आये हुए द्रव्य ग्रहण करता है ? १४ उत्तर - हे गौतम ! निर्व्याघात हो तो छहों दिशाओं से आये हुए द्रव्यों को ग्रहण करता है, इत्यादि औदारिक-शरीरवत् । १५ प्रश्न - जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई सोइंदियत्ताए गेव्ह ० ? १५ उत्तर - जहा वेउव्वियसरीरं, एवं जाव जिम्भिदियत्ताए, फासिंदियत्ताए जहा ओरालियसरीरं, मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं । णवरं नियमं छद्दिसिं, एवं वहजोगत्ताए वि, कायजोगत्ताए जहा ओरालियसरीरस्स । भावार्थ - १५ प्रश्न - हे भगवन् ! जीव जिन द्रव्यों को श्रोत्रेन्द्रियपने ग्रहण करता है, इत्यादि ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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