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________________ भगवती मूत्र-श. ३५ अवान्तर शतक २ ३७५३ भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेंद्रिय जीव कहां से आते हैं ? . १ उत्तर-हे गौतम ! उपपात औधिक उद्देशक के अनुसार । विशेष प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव कृष्णलेश्या वाले हैं ? उत्तर-हां, गौतम ! कृष्णलेश्या वाले हैं। २ प्रश्न-ते णं भंते ! 'कण्हलेसकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिय' त्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? २ उत्तर-गोयंमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं एवं ठिईए वि । सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो । एवं सोलस वि जुम्मा भाणियव्वा ॥ ३५-२-१॥ भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! वे कृष्णलेश्या वाले कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेंद्रिय जीव काल की अपेक्षा कितने काल तक होते हैं ? २ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त तक, इसी प्रकार स्थिति भी । शेष पूर्ववत्, यावत् 'अनन्त बार उत्पन्न हुए हैं' तक । इस प्रकार सोलह महायुग्मों का कथन करना चाहिये । ३५-२-१। १ प्रश्न-पढम-समय-कण्हलेस्स-कडजुम्मकडजुम्म-एगिदिया णं भंते ! कओ उववज्जति ? १ उत्तर-जहा पढमसमयउद्देसओ । णवरं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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