________________
३७४८
भगवती सूत्र-श. ३५ अवान्तर शतक १ उ. ३-११
हिंतो उववज्जति ?
१ उत्तर-एवं जहेव पढमसमयउद्देसओ। णवरं देवा ण उववज्जति, तेउलेस्सा ण पुच्छिज्जंति, सेसं तहेव ॥३५-१-४॥
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! चरम समय कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आते हैं ?
. १ उत्तर-हे गौतम ! प्रथम समय उद्देशक के अनुसार । किन्तु यहां देव उत्पन्न नहीं होते और तेजोलेश्या विषयक प्रश्न भी नहीं करना चाहिये । शेष पूर्ववत् । ३५-१-४ ।
१ प्रश्न-अचरमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कओ उववज्जति ? १ उत्तर-जहा अपढमसमयउद्देसो तहेव गिरवसेसो भाणियव्यो।
॥३५-१-५॥ भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! अचरम समय के कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहां से आते हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! अप्रथमसमय उद्देशक के अनुसार । ३५-१-५ ।
१ प्रश्न-पढमपढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ?
१ उत्तर-जहा पढमसमयउद्देसओ तहेव गिरवसेसं ॥३५-१-६॥ . भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रथमप्रथम समय के कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहां से आते हैं ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org