________________
भगवती सूत्र-रा. ३५ अवान्तर शतक १ उ. १
३७४५
२० उत्तर-हे गौतम ! उपपात पूर्ववत् । परिमाण-पांच, संख्यात, असंख्यात या अनन्त उत्पन्न होते हैं । शेष पूर्ववत्, यावत् 'पहले अनेक बार या अनन्त चार उत्पन्न हुए हैं।
___'हे भगवन ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं। ॥ पैंतीसवें शतक के प्रथम अवांतर शतक का प्रथम उद्देशक सम्पूर्ण ॥
-
OAAMAN
अवान्तर शतक १ उद्देशक २
१ प्रश्न-पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! कओ उववजति ?
१ उत्तर-गोयमा ! तहेव, एवं जहेब पढमो उद्देसओ तहेव सोलसखुत्तो बिइओ वि भाणियव्वो, तहेव सव्वं । णवरं इमाणि य दस णाणत्ताणि-१ ओगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेजइभागं । २ आउयकम्मस्स णो बंधगा, अबंधगा । ३ आउयस्स णो उदीरगा, अणुदीरगा । ४ णो उस्सामगा, णो णिस्सासगा, णोउस्सासणिस्सासगा । ५ सत्तविहबंधगा, णो अट्ठविहबंधगा।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रथम समय उत्पन्न कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहां से आते हैं ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org