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________________ भगवती सूत्र - श. ३५ अवान्तर शतक १ उ. १ ८ प्रश्न- ते णं भंते! जीवा किं सातावेयगा, असातावेयगा पुच्छा । ८ उत्तर - गोयमा ! सातावेयगा वा असातावेयंगा वा । एवं उप्पलुदेसगपरिवाडी । सव्वेसिं कम्माणं उदई, णो अणुदई । छहं कम्माणं उदीरगा, जो अणुदीरगा । वेयणिज्जाउयाणं उदीरगा वा अणुदीरगा वा ।. ३७३७ भावार्थ-८ प्रश्न - हे भगवन् ! वे जीव साता के ८ उत्तर - हे गौतम! वे सातावेदक होते हैं उत्पलोद्देशक परिपाटी के अनुसार । वे सभी कर्मों के नहीं। छह कर्मों के उदीरक हैं, अनुदीरक नहीं । वेदनीय और आयु-कर्म के वीरक भी हैं और अनुदीरक भी । वेदक हैं या असाता के ? अथवा असातावेदक । उदय वाले हैं, अनुदयी Jain Education International ९ प्रश्न - ते णं भंते ! जीवा किं कण्ह - पुच्छा । ९ उत्तर - गोयमा । कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा. वा. काउलेस्सा वा तेउलेस्सा वा । णो सम्मदिट्टी, णो सम्मामिच्छादिट्टी, मिच्छादिट्टी । णो णाणी, अण्णाणी, नियमं दुअण्णाणी, तं जहा - महअण्णाणी य सुयअण्णाणी य । जो मणजोगी, णो वहजोगी, कायजोगी । सागारोवउत्ता वा, अणागारोवउत्ता वा । भावार्थ - ९ प्रश्न - हे भगवन् ! वे जीव कृष्णलेश्या वाले हैं० ? ९ उत्तर - हे गौतम ! वे कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या और For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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