SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 584
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपेक्षा दूसरा पद १६ । ( २ ) १९ । समय की अपेक्षा पहला पद है और अपहार किये जाने वाले द्रव्य की है । इन सोलह महायुग्मों की जघन्य संख्या इस प्रकार है- ( १ ) (३). १८.० (४) १७ । (५) १२ । (६) १५ । (७) १४ । (८) १३ । (९) ८ । (१०) ११ । ( ११ ) १० । (१२) ९ । (१३) ४ । (१४) ७ । (१५) ६ । (१६) ५ । भगवती सूत्र - श ३५ अत्रान्तर शतक ९ उ. ९ ३ प्रश्न - कडजुम्मकडजुम्मए गिंदिया णं भंते ! कओ उवबज्जं ति ? किं णेरइए हिंतो • ? ३ उत्तर - जहा उप्पलुद्देसए तहा उववाओ । होते हैं ? भावार्थ-३ प्रश्न हे भगवन् ! कृतयुग्मकृतयुग्म राशि रूप एकेन्द्रिय जीव कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं, क्या नैरयिक से आकर उत्पन्न होते हैं ० ? ३ उत्तर - हे गौतम! उत्पलोद्देशक ( शतक ग्यारह उद्देशक एक) के अनुसार । ४ प्रश्न - ते णं भंते! जीवा एगसमपर्ण केवहया उववजंति ? ४ उत्तर - गोयमा ! सोलस वा, संखेज्जा वा, असंखेज्जा वा, अनंता वा उववज्जति । भावार्थ-४ प्रश्न - हे भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न ३७३५ होते हैं । Jain Education International ४ उत्तर - हे गौतम ! सोलह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त उत्पन्न ५ प्रश्न - ते णं भंते! जीवा समए समए - पुच्छा । ५ उत्तर - गोयमा ! ते णं अनंता समए समए अवहीरमाणा अवरमाणा अनंताहिं उस्सप्पिणी अवसप्पिणीहिं अघहीरं ति, णो चेव For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy