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________________ ३६७२ भगवती सूत्र - श. ३३ अवान्तर शतक २ १ उत्तर - गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा - पुढविकाया जाव वणरसइकाइया । भावार्थ - १ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? १ उत्तर - हे गौतम! कृष्णलेश्या वाले एकेन्द्रिय पाँच प्रकार के कहे हैं । यथा- पृथ्वी कायिक यावत् वनस्पतिकायिक | A २ प्रश्न - कण्हलेस्सा णं भंत ! पुढविकाइया कविहा पण्णत्ता ? २ उत्तर - गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमपुढ विकाइया बायरपुढविकाइयाय । भावार्थ - २ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले पृथ्वीकायिक कितने प्रकार के कहे हैं ? २ उत्तरर - हे गौतम! दो प्रकार के कहे हैं । यथा - सूक्ष्म पृथ्वीकायिक और बादर पृथ्वीकायिक । ३ प्रश्न - कण्हलेस्सा णं भंते ! सुहुमपुढविकाइया कड़विहा पण्णत्ता ? ३ उत्तर - गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं चउक्कभेओ जहेव ओहिउद्देसर जाव वणस्सइकाइय त्ति । भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले सूक्ष्म पृथ्वीकायिक कितने प्रकार के कहे हैं ? अनुसार । इस अभिलाप से ३ उत्तरर - हे गौतम! भौधिक उद्देशक चार मेद यावत् वनस्पतिकायिक पर्यन्त । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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