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भगवती सूत्र - श. ३१ उ. ५ भवसिद्धिक नैरयिक की उत्पत्ति
और इन तीन नरकों के तीन दण्डक, यौं इस उद्देशक में चार दण्डक कहे हैं । सामान्य दuse में रत्नप्रभा के समान उपपात जानना चाहिये ।
॥ इकत्तीस शतक का चौथा उद्देशक सम्पूर्ण ॥
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शतक ३१ उद्देशक ५
भवसिद्धिक नैरयिक की उत्पत्ति
१ प्रश्न - भवसिद्धियखुड्डा गकडजुम्मणेरइया णं भंते! कओ उववज्र्ज्जति १ किं रहय० १
१ उत्तर - एवं जहेव ओहिओ गमओ तहेव णिरवसेसं जाव णो परप्पओगेण उववज्र्ज्जति ।
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! क्षुद्रकृतयुग्म राशि प्रमाण मवसिद्धिक नैरयिक कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम! औधिक गमक के अनुसार, यावत् वे पर प्रयोग से उत्पन्न नहीं होते ।
२ प्रश्न - रयणप्पभापुढ विभवसिद्धियखुड्डागकडजुम्मणेरड्या भंते ० १
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