SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 496
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ • भगवती सूत्र-श. ३० उ. २ कृष्णलेश्या वाले नैरयिक की उत्पत्ति ३६४७ . धूमप्रभा पथ्वी के नैरयिक कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं ? २ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार तमःप्रभा और अधःसप्तम पृथ्वी पर्यन्त । सभी स्थानों में उपपात होता है-प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्तिपद के अनुसार। .. ३ प्रश्न-कण्हलेस्सखड्डागतेओगणेरड्या णं भंते ! कओ उववजति ? ३ उत्तर-एवं चेव, णवरं तिण्णि वा सत्त वा एकारस वा पण्णरस वा संखेजा वा असंखेजा वा, सेसं तं चेव । एवं जाव अहे. सत्तमाए वि। भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्षुद्रयोज राशि प्रमाण कृष्णलेश्या वाले नरयिक कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं ? ३ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । तीन, सात, ग्यारह, पन्द्रह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। शेष पूर्ववत । इसी प्रकार यावत् अधःसप्तम पृथ्वी पर्यन्त। .. ४ प्रश्न-कण्हलेस्सखुड्डागदावरजुम्मणेरड्या णं भंते ! कओ उववनंति ? - ४ उत्तर-एवं चेव । णवरं दो वा छ वा दस वा चोइस वा, सेसं तं चेव, धूमप्पभाए वि जाव अहेसत्तमाए । भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले क्षद्वापरयुग्म राशि प्रमाण नैरयिक कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं. ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy