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शतक ३१ उद्देशक २
कृष्णलेश्या वाले नैरयिक की उत्पत्ति
१ प्रश्न-कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मणेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति ? .
१ उत्तर-एवं चेव जहा ओहियगमो जाव णो परप्पओगेणं उववज्जति । णवरं उववाओ जहा वक्कंतीए धूमप्पभापुढविणेरइयाणं, सेसं तं चेव।
- भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! क्षुद्रकृतयुग्म राशि प्रमाण कृष्णलेश्या वाले नरयिक कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं. ?.
१ उत्तर-हे गौतम ! औधिक गमक के अनुसार, यावत् पर-प्रयोग से उत्पन्न नहीं होते । यहां भी प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्ति पद के अनुसार । धमप्रमा पृथ्वी के नरयिकों का उपपात कहना चाहिये तथा प्रश्न और उत्तर पूर्ववत् जानना चाहिये।
२ प्रश्न-धूमप्पभापुढविकण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मणेरइया गं भंते ! को उववज्जति ?
२ उत्तर-एवं चेव गिरवसेसं । एवं तमाए वि, अहेसत्तमाए वि। णवरं उववाओ सव्वत्थ जहा वक्कंतीए ।
भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! क्षुद्रकृतयुग्म राशि प्रमाण कृष्णलेश्या वाले
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