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भगवती सूत्र-पा. ३० उ. १ समवगरण
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भावार्थ-२० प्रश्न-हे भगवन् ! सम्यमिथ्यादृष्टि अज्ञानवादी जीव, नरयिक का आयु बांधते हैं ?
२० उत्तर-हे गौतम ! अलेशी जीव के समान । इसी प्रकार विनय. वादी भी जानना चाहिये । ज्ञानी, मतिज्ञानी, श्रतज्ञानी और अवधिज्ञानी की वक्तव्यता सम्यगदष्टि के समान है।
२१ प्रश्न-मणपज्जवणाणी णं भंते ! पुच्छा।
२१ उत्तर-गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्ख०, णो मणुस्स०, देवाउयं पकरें ति ।
भावार्थ-२१ प्रश्न-हे भगवन ! मनःपर्यवज्ञानी क्रियावादी जीव, नरयिक का आयु बांधते हैं ?
____ २१ उत्तर-हे गौतम ! वे नरयिक, तिथंच और मनुष्य का आयु नहीं बांधते, किन्तु देव का आयु बांधते हैं।
२२ प्रश्न-जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासि०-पुच्छा। .....२२ उत्तर-गोयमा ! णो भवणवासिदेवाउयं पकाति, णो वाणमंतर०, णो जोइसिय०, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति । केवलणाणी जहा अलेस्सा । अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया । सण्णासु चउसु वि जहा सलेस्सा । णोसण्णोवउत्ता जहा मणपजवणाणी । सवेयगा जाव णपुंसगवेयगा जहा सलेस्सा । अवेयगा जहा अलेस्सा। सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकमायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा । अजोगी जहा अलेस्सा।
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