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भगवती सूत्र - श ३० उ १ समवसरण
भेद होते हैं । यो कुल ८४ भेद होते हैं ।
३ अज्ञानवादी -- जीवादि अतीन्द्रिय पदार्थों को जानने वाला कोई नहीं है और न उनके जानने से कुछ प्रयोजन सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त ज्ञानी और अज्ञानी-इन दोनों का समान अपराध होने पर ज्ञानी को अधिक दोष माना है और अज्ञानी को कम । इसलिये अज्ञान ही श्रेष्ठ है । ऐसा मानने वाले 'अज्ञानवादी' कहलाते हैं। इनके ६७ भेद हैं। यथा-जीव, अजीव, आश्रव, बन्ध, पुण्य, पाप, संवर, निर्जरा और मोक्ष, इन नौं तत्त्वों के सत्, असत्, सदसद्, अवक्तव्य, सदवक्तव्य, असदवक्तव्य, सदसदवक्तव्य इन सात से गुणन करने पर ६३ भेद होते हैं । उत्पत्ति के सद्. असद्, सदसद् और अवक्तव्य की अपेक्षा से चार भेद होते हैं । जैसे कि--जीव सद् है, यह कौन जानता है और इसके जानने से क्या लाभ है इत्यादि ।
४ विनयवादी - स्वर्ग, अपवर्ग आदि की प्राप्ति विनय से ही होती है । इसलिये विनय ही श्रेष्ठ है । इस प्रकार विनय को प्रधान रूप से मानने वाले विनयवादी कहलाते हैं । इनके बत्तीस भेद हैं। यथा-देव, राजा, यति, ज्ञाति, स्थविर, अधम, माता और पिता, इन आठों का मन, वचन, काया और दान, इन चार प्रकार से विनय होता है । इस प्रकार आठ को चार से गुणा करने पर बत्तीस भेद होते हैं ।
ये चारों वादी मिथ्यादृष्टि हैं । क्रियावादी, जीवादि पदार्थों के अस्तित्व को ही मानते हैं । इस प्रकार एकांत अस्तित्व को मानने से इनके मत में पर रूप की अपेक्षा से नास्तित्व नहीं माना जाता । पर रूप की अपेक्षा से वस्तु में नास्तित्व नहीं मानने से वस्तु में स्वरूप के समान पर रूप का भी अस्तित्व रहेगा । इस प्रकार प्रत्येक वस्तु में सभी वस्तुओं का अस्तित्व रहने से एक ही वस्तु सर्व रूप हो जायगी, जो कि प्रत्यक्ष बाधित है । इस प्रकार क्रियावादियों का मत मिथ्यात्व पूर्ण है ।
अक्रियावादी जौवादि पदार्थों का अस्तित्व नहीं मानने से असद्भूत अर्थ का प्रतिपादन करते हैं । इसलिये वे भी मिथ्यादृष्टि हैं। एकान्त रूप से जीव के अस्तित्व का प्रतिध करने से उनके मत में निषेधकर्त्ता का ही अभाव हो जायगा । निषेधकर्त्ता का अभाव हो जाने से सभी का अस्तित्व स्वतः सिद्ध हो जाता है ।
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अज्ञानवादी अज्ञान को ही श्रेय मानते हैं । इसलिये वे भी मिथ्यादृष्टि हैं और उनका कथन स्ववचन बाधित है, क्योंकि 'अज्ञान श्रेय है' - यह बात भी वे बिना ज्ञान के कैसे जान सकते हैं और बिना ज्ञान के वे अपने मत का समर्थन भी कैसे कर सकते हैं ?
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