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भाणियव्वो ।
भगवती
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सूत्र - श. २६ उ ६ अनन्तराहारक बन्धक
पुच्छा ।
'सेवं भंते! सेवं भंते 'ति
॥ छवीसहमे बंधिसए पंचमो उद्देमो समत्तो ॥
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! परम्परावगाढ़ नैरयिक ने पाप-कर्म बांधा
था० ?
१ उत्तर - हे गौतम! जिस प्रकार परम्परोपपन्नक के विषय में उद्देशक कहा, उसी प्रकार परम्परावगाढ़ के विषय में सम्पूर्ण उद्देशक कहना चाहिये ।
3.
॥ छब्बीसवें शतक का पाँचवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
-
शतक २६ उद्देशक ६
३५७९
अनन्तराहारक बंधक
१ प्रश्न - अनंतराहारए णं भंते ! शेरइए पावं कम्मं किं बंधी
१ उत्तर - एवं जहेब अनंतरोववण्णएहिं उद्देसो तहेव णिरवसेसं । 'सेवं भंते । सेवं भंते!' ति
॥ छवीसहमे सए छट्टओ उद्देसो समत्तो ॥
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