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शतक २५ उद्देशक ह
भवसिद्धिक जीवों की उत्पत्ति
१ प्रश्न - भवसिद्धियणेरइया णं भंते ! कहं उववज्जंति ?
१ उत्तर - गोयमा ! से जहाणामए पवए पवमाणे - अवसेसं तं चेव जाव माणिए ।
* 'सेवं भंते! सेवं भंते!' त्ति
|| पणवीसइमे स णवमो उद्देसो समत्तो ॥
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! भवसिद्धिक नैरयिक किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम! पूर्वोक्त कूदते हुए पुरुष के समान इत्यादि सभी पूर्वोक्त यावत् वैमानिक पर्यन्त ।
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'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं ।
॥ पच्चीसवें शतक का नौवां उद्देशक सम्पूर्ण ॥
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