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________________ भगवती गूत्र-ग २५ उ ८ आत्म-ऋद्धि से उत्पत्ति ५ उत्तर-गोयमा ! आयड्ढीए उववज्जति, णो पग्इिडीए उववति । भावार्थ-५ प्रश्न- हे भगवन ! वे जीव आत्म-ऋद्धि (अपनी शक्ति) . से उत्पन्न होते है या पर-ऋद्धि (दूसरों की शक्ति) से ? ५ उत्तर-हे गौतम ! जीव आत्म-ऋद्धि से उत्पन्न होते हैं, पर ऋद्धि - से नहीं। ६ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवां कि आयकम्मुणा उववज्जति, परकम्मुणा उववति ? ६ उत्तर-गोयमा ! आयकम्मुणा उववज्जति, णो परकम्मुणा उववति । भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन ! वे जीव अपने कर्मों से उत्पन्न होते हैं या दूसरों के कर्मों से ? ६ उत्तर-हे गौतम ! वे अपने कर्मों से ही उत्पन्न होते हैं, दूसरों के कर्मों में नहीं। ___ ७ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा किं आयप्पओगेणं उववजंति, परप्पओगेणं उववनंति ? ___ ७ उत्तर-गोयमा ! आयप्पओगेणं उववजंति, णो परप्पओगेणं उववति । भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव, आत्म-प्रयोग (अपने व्यापार) से उत्पन्न होते हैं या पर-प्रयोग से ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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