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________________ परिमाण द्वार ९२ प्रश्न - सामाइयसंजया णं भंते ! एगसमपणं केवइया होना ? ९२ उत्तर - गोयमा ! पडिवजमाणए य पडुच्च जहा कमायकुसीला तहेव णिरवसेसं । भावार्थ - ९२ प्रश्न - हे भगवन् ! सामायिक संयंत एक समय में कितने होते हैं ? ९२ उत्तर - हे गौतम! प्रतिपद्यमान सामायिक संयत आदि का परिमाण कषाय- कुशील के समान है । ९३ प्रश्न - ओवावणिया - पुच्छा । ९३ उत्तर - गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्थि मिय णत्थि । जड़ अत्थि जहणेणं एको वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं यहुतं । पुव्वपविण पडुच्च सिय अस्थि सिय णत्थि, जइ अस्थि जहणेणं कोडिसयपुहुत्तं, उक्कोसेण वि कोडिसयपुहुत्तं । परिहारविसुद्धिया जहा पुलाया । सुहुमसंपराया जहा नियंठा । भावार्थ - ९३ प्रश्न - हे भगवन् ! छेदोपस्थापनीय संयत एक समय में कितने ० ? ९३ उत्तर - हे गौतम! प्रतिपद्यमान कदाचित् होते हैं और नहीं भी होते । यदि होते हैं, तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व होते हैं । पूर्वप्रतिपन्न कदाचित् होते हैं और नहीं भी होते । यदि होते हैं, तो जघन्य कोटिशतपृथक्त्व और उत्कृष्ट भी कोटिशतपृथक्त्व । परिहारविशुद्धिक संयतों का परिमाण पुलाक के समान और सूक्ष्म संपराय संयतों की संख्या निर्ग्रन्थों के समान है । ९४ प्रश्न - अहक्खायसंजया णं- पुच्छा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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