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________________ ३४७८ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ७ आकर्ष द्वार ६९ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक और उत्कृष्ट आठ भव ग्रहण करते हैं । इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय संयम भी।। ७० प्रश्न-परिहारविसुद्धिए-पुच्छा । ७० उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं, उक्कोसेणं तिण्णि । एवं जाव अहक्खाए (२७)। ... भावार्थ-७० प्रश्न-हे भगवन् ! परिहारविशुद्धिक संयत कितने भव प्रहण करते हैं ? ____७० उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक और उत्कृष्ट तीन भव ग्रहण करते हैं। इसी प्रकार यावत् यथाख्यात संयत पर्यन्त (२७) । आकर्ष द्वार ७१ प्रश्न-सामाइयसंजयस्स णं भंते ! एगभवग्गहणिया केवइया आगरिसा पण्णता ? ७१ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं-जहा बउसस्स । भावार्थ-७१ प्रश्न-हे भगवन् ! सामायिक संयत के एक भव में आकर्ष (चारित्र प्राप्ति) कितने होते हैं ? ७१ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व होते हैं इत्यादि बकुश के समान । ७२ प्रश्न-छेओवट्ठावणियस्स-पुच्छा। ७२ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एको, उक्कोसेणं वीसपहत्तं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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