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________________ ३४७४ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ७ उपसंपद्-हान किं जहह, किं उवसंपजह ? ६२ उत्तर - गोयमा ! सामाइयसंजयत्तं जहइ, छेओवट्टावणियसंजयं वा, सुहुमसंपरायसंजयं वा, असंजमं वा, संजम संजमं वा उवसंपजह | भावार्थ - ६२ प्रश्न - हे भगवन् ! सामायिक संयत, सामायिक संयतपन त्यागते हुए किसे छोड़ते हैं और क्या प्राप्त करते हैं ? ६२ उत्तर - हे गौतम ! वे सामायिक संघम छोड़ते हैं और छेदोपस्थापनी संयम, सूक्ष्म संपराय संगम, असंयम अथवा संयमासंयम प्राप्त करते हैं । ६३ प्रश्न - छेओट्टावणिए - पुच्छा । ६३ उत्तर - गोयमा ! छेओवट्टावणियसंजयत्तं जहह, सामाइयसंजमं वा, परिहारविसुद्धिय संजमं वा, सुहुमसंपरा यसंजमं वा, असंजमं वा, संजमा संजमं वा उवसंपजड़ । भावार्थ - ६३ प्रश्न - हे भगवन् ! छेदोपस्थापनीय संयत यावत् किसे छोड़ते हैं और क्या प्राप्त करते हैं ? ६३ उत्तर - हे गौतम ! वे छेदोपस्थापनीय संयत छोड़ते हैं और सामायिक संयम, परिहारविशुद्धिक संयम, सूक्ष्म-संपराय संयम, असंयम अथवा संयमासंयम प्राप्त करते हैं । ६४ प्रश्न - परिहारविसुद्धिए - पुच्छा । ६४ उत्तर - गोयमा ! परिहारविसुद्वियसंजयत्तं जहर, छेभोवडावणियसंजयत्तं वा असंजमं वा उवसंपजड़ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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