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________________ भगवी - २५ उ. ७ परिणाम द्वार ५१ उत्तर - गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हीयमाणपरिणामे वा होज्जा, णो अवट्टियपरिणामे होज्जा । अहक्खाए जहा नियंठे | ३४६८ भावार्थ - ५१ प्रश्न - हे भगवन् ! सूक्ष्म- सम्पराय संयत, वर्द्धमान परिणाम वाले होते हैं ० ? ५१ उत्तर - हे गौतम ! वर्द्धमान परिणाम वाले या हीयमान परिणाम वाले होते हैं, अवस्थित परिणाम वाले नहीं होते । यथाख्यात संयत निर्मन्थ के समान हैं । ५२ प्रश्न - सामाइयसंजए णं भंते! केवइयं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? ५२ उत्तर - गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं - जहा पुलाए । एवं जाव परिहारविसुद्धिए । भावार्थ - ५२ प्रश्न - हे भगवन् ! सामायिक संयत, वर्द्धमान परिणामयुक्त कितने काल तक होते हैं ? ५२ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य एक समय वर्द्धमान परिणाम वाले होते हैं इत्यादि पुलाकवत् । इसी प्रकार यावत् परिहारविशुद्धिक संयत तक । ५३ प्रश्न - सुहमसंपरायसंजए णं भंते! केवइयं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? , ५३ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतो मुहुत्तं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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