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________________ भगवती सूत्र- श. २५ उ. ७ परिणाम द्वार - - - णियंठे । अहक्खाए जहा सिणाए । णवरं जइ सलेस्से होजा, एगाए सुक्कलेस्साए होजा (१९)। भावार्थ-४९ प्रश्न-हे भगवन ! सामायिक संयत सलेशी होते हैं या अलेशी ? ४९ उत्तर-हे गौतम ! सलेशी होते हैं इत्यादि कषाय-कुशीलवत । इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय सयत भी। परिहारविशुद्धिक संयत पुलाकवत् । सूक्ष्मसम्पराय संयत, निर्ग्रन्थ के समान है और यथाख्यात संयत, स्नातक के समान है, यदि सलेशी होते हैं, तो एकमात्र शुक्ललेशी होते हैं (१९) । विवेचन-लेश्या के विषय में यथाख्यात संयत का कथन स्नातक के समान है । वे सलेशी भी होते हैं और अलेशी भी । यदि स्नातक, सलेशी होते हैं, तो परम शुक्ल-लेश्या वाले होते हैं, किन्तु यथाख्यात संयत शुक्ल-लेश्या वाला ही होता है । परिणाम द्वार - ५० प्रश्न-सामाइयसंजए णं भंते ! किं वड्ढमाणपरिणाम होजा, हीयमाणपरिणामे होजा, अवट्ठियपरिणामे होला ? ... ५० उत्तर-गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे जहा पुलाए। एव जाव परिहारविसुद्धिए। ...... भावार्थ-५० प्रश्न-हे भगवन् ! सामायिक संयत, वर्द्धमान परिणाम वाले होते हैं, हीयमान परिणाम वाले होते हैं या अवस्थित परिणाम वाले होते हैं ? ५० उत्तर-हे गौतम ! वर्द्धमान परिणाम वाले होते हैं इत्यादि पुलाक• यत् । इसी प्रकार यावत् परिहार-विशुद्धिक संयत पर्यन्त । ५१ प्रश्न-सुहुमसंपराए-पुच्छा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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