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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ७ संयम स्थान संयत की स्थिति कितने काल की कही है ? ३१ उत्तर - हे गौतम! जघन्य दो पत्योपम और उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम । इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय संयत की स्थिति भी जानो । ३४५७ ३२ प्रश्न - परिहारविशुद्धियम्स - पुच्छा । ३२ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं दो पलिओवमाई उकासेणं. अारस सागरोवमाई, सेसाणं जहा णियंटस्स (१३) । भावार्थ - ३२ प्रश्न - हे भगवन् ! देवलोक में उत्पन्न होते हुए परिहारविशुद्धिक संयत की स्थिति कितनी होती है ? ३२ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य दो पल्योपम और उत्कृष्ट अठारह् सागरोपम । सूक्ष्म- संपराय और यथाख्यात संयत की स्थिति निर्ग्रन्थ के समान होती है ( १३ ) | संयम स्थान ३३ प्रश्न – सामाइयसंजयस्स णं भंते! केवइया संजमट्टाणा पण्णत्ता ? १३३ उत्तर - गोयमा ! असंखेज्जा संजमट्टाणा पण्णत्ता, एवं जाव परिहारविसुद्वियस्स । भावार्थ६- ३३ प्रश्न - हे भगवत् ! सामायिक संयत के कितने संगम स्थान Jain Education International कहे हैं ? ३३ उत्तर - हे गौतम! असंख्य संग्रम-स्थान कहे हैं । इसी प्रकार यावत् परिहारविशुद्धिक संयत तक । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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