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________________ ३४४० यारे य । ३ प्रश्न - छेओवट्टावणियसंजए - पुच्छा | ३ उत्तर - गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - साइयारे य णिरह कहे हैं ? भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! छेदोपस्थापनीय संयत कितने प्रकार के निरतिचार | भगवती सूत्र - श. २५ उ. ७ संयत के भेद ३ उत्तर - हे गौतम! दो प्रकार के कहे हैं । यथा - सातिचार और ४ प्रश्न - परिहारविशुद्धिय संजए - पुच्छा । ४ उत्तर - गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - णिव्विसमाणए य व्किाइए य । भावार्थ - ४ प्रश्न - हे भगवन् ! परिहारविशुद्धिक संयत कितने प्रकार ! के कहे हैं ? कायिक | Jain Education International ४ उत्तर - हे गौतम ! दो प्रकार के । यथा-निर्विशमानक और निर्विष्ट ५ प्रश्न -सुहुमसंपराय - पुच्छा । ५ उत्तर - गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - संकिलिस्समाणए विद्धमाणए य । भावार्थ - ५ प्रश्न - हे भगवन् ! सूक्ष्म-संवराय संयत कितने प्रकार के हैं ? ५ उत्तर - हे गौतम! दो प्रकार के । यथा-संक्लिश्यमानक और विशु द्वयमानक । ६ प्रश्न - अहक्खायसंजए - पुच्छा । ६ उत्तर - गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- छउमत्थे य केवली य।. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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