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________________ शतक २५ उद्देशक ७ संयत के भेद (70022000) १ प्रश्न --कइ णं भंते ! संजया पण्णत्ता ? १ उत्तर -- गोयमा ! पंच संजया पण्णत्ता, तं जहा - सामाइयसंजर २ छेओवट्टावणियसंजए ३ परिहारविसुद्धियसंजर ४ सुहुमसंपरायसंजए ५. अहक्खायसंजए । भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! संयत कितने प्रकार के कहे हैं ? १ उत्तर - हे गौतम ! संयत पाँच प्रकार के कहे हैं । यथा - १ सामायिक संयत, २ छेदोपस्थापनीय संयत, ३ परिहारविशुद्धिक संयत, ४ सूक्ष्म- सम्पराय संयत और ५ यथाख्यात संयत । २ प्रश्न- सामाइयसंजए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? २ उत्तर - गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- इत्तरिए य आवक - हिए य । Jain Education International कठिन शब्दार्थ -- इत्तरिए -- इत्वरिक - अल्पकालीन, आवकहिए -- यावत्कथिक - जीवनपर्यन्त । भावार्थ - २ प्रश्न - हे भगवन् ! सामायिक संयत कितने प्रकार के कहे हैं ? २ उत्तर - हे गौतम ! सामायिक संयत दो प्रकार के कहे हैं। यथाsrafts और यावत्कथिक । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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