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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ परिमाण द्वार
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होते हुए) पुलाक कदाचित् होते हैं और कदाचित नहीं होते । यदि होते हैं, तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शतपथक्त्व होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न पुलाक भी कदाचित् होते हैं और नहीं भी होते । यदि होते हैं, तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट सहस्रपृथक्त्व होते हैं।
१५९ प्रश्न-बउसा णं भंते ! एगसमएणं-पुच्छा।
१५९ उत्तर-गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्थि. सिय णत्थि । जइ अत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उपकोसेणं सयपुहुत्तं । पुवपडिवण्णए पडुच्च जहण्णेणं कोडिसयपुहत्तं, उकोमेण वि कोडिसयपुहुत्तं । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।
भावार्थ-१५९ प्रश्न-हे भगवन ! बकुश एक समय में कितने होते हैं ?
१५९ उत्तर-हे गौतम ! प्रतिपद्यमान बकुश कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं होते । यदि होते हैं, तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व होते हैं । पूर्वप्रतिपन्न बकुश जघन्य और उत्कृष्ट कोटिशत-पृथक्त्व होते हैं । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील भी।।
- १६० प्रश्न-कसायकुसीलाणं-पुच्छा। - १६० उत्तर-गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अस्थि, सिय णत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एको वा दो वा तिण्णि वा, उको. सेणं सहस्सपुहुत्तं । पुवपडिवण्णए पडुच्च जहण्णेणं कोडिसहस्सपुहुत्तं, उकोसेण वि कोडिसहस्सपहुत्तं ।
___ भावार्थ-१६० प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय-कुशील एक समय में कितने होते हैं।
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