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________________ ३४३४ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ परिमाण द्वार ommmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm भावार्थ-१५६ प्रश्न-हे भगवन् ! निग्रंथ किस भाव में होते हैं ? १५६ उत्तर-हे गौतम ! औपशमिक या क्षायिक भाव में होते हैं। १५७ प्रश्न-सिणाए-पुच्छा। १५७ उत्तर-गोयमा ! खइए भावे होज्जा ३४ । भावार्थ-१५७ प्रश्न-हे भगवन् ! स्नातक किस भाव में होते हैं ? .. १५७ उत्तर-हे गौतम ! क्षायिक भाव में होते हैं। विवेचन--पुलाक से ले कर कषाय-कुशील तक क्षायोपशमिक भाव में, निग्रंथ - औपशमिक या क्षायिक भाव में और स्नातक क्षायिक भाव में होते हैं। परिमाण द्वार १५८ प्रश्न-पुलाया णं भंते ! एगसमएणं केवइया होजा ? १५८ उत्तर-गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय णत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एको वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयपहुत्तं । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अस्थि, सिय णत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एको वा दो वा तिण्णि वा, उको. सेणं सहस्सपुहत्तं । कठिन शब्दार्थ--पतिवज्जमाणए-प्रतिपद्यमान-तत्काल उस अवस्था को प्राप्त होता हुआ, पुव्वपडियण्णए-पूर्वप्रतिपन्न-पहले ही उस अवस्था को प्राप्त किया हुआ। भावार्थ-१५८ प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाफ एक समय में कितने होते हैं ? १५८ उत्तर-हे गौतम ! प्रतिपद्यमान (तत्काल पुलाकपन को प्राप्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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