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________________ ३४३० भगवती सूत्र श २५ उ. ६ समुद्घात समुग्घाए जाव तेयाममुग्घाए । एवं पडिसेवणाकुमीले वि । भावार्थ--१४८ प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश के समुद्घात कितने कहे हैं ? १४८ उत्तर-हे गौतम ! पांच समुदघात कहे हैं। यथा-वेदना-समुद्घात यावत् तेजस्-समुद्घात । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील भी। १४९ प्रश्न-कसायकुसीलस्स-पुच्छा। १४९ उत्तर-गोयमा ! छ समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेयणासमुग्घाए जाव आहारगसमुग्घाए । भावार्थ-१४९ प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय कुशील के समुद्घात कितने कहे हैं ? १४९ उत्तर-हे गौतम ! समुद्घात छह कहे हैं । यथा-वेदना-समुद्घात यावत् आहारक-समुद्घात । १५० प्रश्न-णियंठस्स णं-पुच्छा। १५० उत्तर-गोयमा ! पत्थि एको वि। . भावार्थ-१५० प्रश्न-हे भगवन् ! निग्रंथ के समुद्घात कितने कहे हैं ? १५० उत्तर-हे गौतम ! एक भी समुद्घात नहीं होता। १५१ प्रश्न-सिणायस्स-पुच्छा। १५१ उत्तर-गोयमा ! एगे केवलिसमुग्घाए पण्णत्ते ३१ । भावार्थ-१५१ प्रश्न-हे भगवन् ! स्नातक के समुद्घात कितने कहे हैं ? १५१ उत्तर-हे गौतम ! एक केवली-समुद्घात कहा है। विवेचन-पुलाम में तीन समुद्घात कहे हैं। मुनियों में संज्वलन कषाय के उदय से Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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