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________________ ३४२२ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६. आकर्ष द्वार प्राप्ति) कितने कहे हैं अर्थात् एक भव में पुलाकपना कितनी बार आता है ? .. १२८ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक और उत्कृष्ट तीन आकर्ष होते हैं (एक भव में तीन बार आ सकता है)। १२९ प्रश्न-बउसस्स णं-पुच्छा। १२९ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एक्को, उक्कोसेणं सयग्गसो। एवं पडिसेवणाकुसीले वि, एवं कसायकुसीले वि। . कठिन शब्दार्थ-सयग्गसो-शतपरिमाण-शतपृथक्त्व ।। भावार्थ-१२९ प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश के एक भव में आकर्ष कितने होते हैं ? .. १२९ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व आकर्ष होते हैं । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील और कषाय-कुशील भी। १३० प्रश्न-णियंठस्स णं-पुच्छा। .. .... १३० उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एक्को, उक्कोसेणं दोण्णि । ".भावार्थ-१३० प्रश्न-हे भगवन् ! निग्रंथ के एक भव में कितने आकर्ष होते हैं ? १३० उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक और उत्कृष्ट दो आकर्ष होते हैं। १३१ प्रश्न-सिणायस्स णं-पुच्छा । ...... १३१ उत्तर-गोयमा ! एक्को । भावार्थ-१३१ प्रश्न-हे भगवन् ! स्नातक के एक भव में कितने आकर्ष होते हैं ? .. ___१३१ उत्तर-हे गौतम ! एक आकर्ष होता है। १३२ प्रश्न-पुलागस्स णं भंते ! णाणाभवग्गहणीया केवहया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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