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________________ ३४१६ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ उपसंपद् हान द्वार कसायकुसीलं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपन्जइ । . भावार्थ-११६ प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश, बकुशपन छोड़ते हुए किसे छोड़ते हैं और किसे प्राप्त करते हैं ? ११६ उत्तर-हे गौतम ! बकुशपन छोड़ते हैं और प्रतिसेवना-कुशीलपन, कषाय-कुशीलपन, असंयम या संयमासंयम प्राप्त करते हैं। ' ११७ प्रश्न-पडिसेवणाकुसीले णं भंते ! पडि०-पुच्छा। ११७ उत्तर-गोयमा ! पडिसेवणाकुसीलत्तं जहइ, बउसं वा कसायकुसौलं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उपसंपन्जइ । ... भावार्थ-११७ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रतिसेवना-कुशील, प्रतिसेवना-कुशील. पन त्यागते हुए क्या छोड़ते हैं और क्या प्राप्त करते हैं ? । ११७ उत्तर-हे गौतम ! प्रतिसेवना-कुशीलपन की छोड़ते हैं और बकुशपन, कषाय-कुशीलपन, असंयम या संयमासंयम प्राप्त करते हैं। ११८ प्रश्न-कसायकुसीले-पुच्छा। ११८ उत्तर-गोयमा ! कसायकुसीलत्तं जहइ, पुलायं वा, बउसं वा पडिसेवणाकुसीलं वा, णियंठ वा, असंजमं वा, संजमासंजमं वा उपसंपजइ। भावार्थ-११८ प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय-कुशील, कषाय-कुशोलपन को त्यागते हुए किसे छोड़ते हैं और किसे प्राप्त करते हैं ? . ११८ उत्तर-हे गौतम ! कषाय-कुशीलपन छोड़ते हैं और पुलाकपन, बकुशपन, प्रतिसेवना-कुशीलपन, निग्रंथपन, असंयम या संयमासंयम प्राप्त करते हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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