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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ शरीर द्वार ४६ उतर-हे गौतम ! औदारिक, तेजस और कार्मण, इन तीन शरीरों में होते हैं। ४७ प्रश्न-बउसे णं भंते !-पुच्छा। ४७ उत्तर-गोयमा ! तिसु वा चउसु वा होजा, तिसु होमाणे तिसु ओरालिय-तेया कम्मएसु होजा, चउसु होमाणे त्रउसु ओरालिय. वेउब्बियन्तेया-कम्मरसु होजा । एवं पडिसेवणाकुसीले वि । भावार्थ-४७ प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश कितने शरीरों में होते हैं ? ___ ४७ उत्तर-हे गौतम ! बकुश तीन या चार शरीरों में होते हैं । जो तीन शरीर में होते हैं, तो औदारिक, तेजस् और कार्मण शरीर में होते हैं और चार शरीरों में होते हैं, तब औदारिक, वैक्रिय, तेजस् और कार्मण शरीरों में होते हैं । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील भी। ४८ प्रश्न-कसायकुसीले-पुच्छा। ४८ उत्तर-गोयमा ! तिसु वा चउसु वा पंचसु वा होजा। तिसु होमाणे तिसु ओरालिय-तेया-कम्मएसु होजा, चउसु होमाणे चउसु ओरालिय चेउब्विय-तेया-कम्मएसु होजा, पंचसु होमाणे पंचसु ओरालिय-वेउध्विय-आहारग-तेया-कम्मएसु होजा। णियंठो सिणाओ .य जहा पुलाओ। ....: भावार्थ-४८ प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय-कुशील कितने शरीरों में होते है ? ४८ उत्तर-हे गौतम ! तीन, चार या पांच शरीरों में होते हैं । तीन शरीर में हों, तो औवारिक, तेजस् और कार्मण शारीरों में, चार शरीरों में हों, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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