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________________ ३३७४ भगवती सूत्र-ग. २५ उ: ६ क्षेत्र द्वार - तो औदारिक, वैक्रिय, तेजस् और कार्मण शरीरों में और पांच शरीरों में हों, तो औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस् और कार्मण शरीरों में होते हैं । निग्रंथ और स्नातक के शरीर पुलाक के समान होते है । क्षेत्र द्वार ४९ प्रश्न-पुलाए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होजा, अकम्मभूमीए होजा ? - ४९ उत्तर-गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होजा, णो अकम्मभूमीए होना। - कठिन शब्दार्थ-संतिभावं-सद्भाव-मौजूदगी। भावार्थ-४९ प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाक, कर्मभूमि में होते हैं या अकर्मभूमि में ? ४९ उत्तर-हे गौतम ! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा कर्मभूमि में होते है, अकर्मभूमि में नहीं होते। ५० प्रश्न-बउसे गं-पुच्छा । ५० उत्तर-गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होजा, णो अकम्मभूमीए होजा, साहरणं पडुच्च कम्मभूमीए वा होजा, अकम्मभूमीए वा होजा । एवं जाव सिणाए। कठिन शब्दार्थ-साहरणं-संहरण-देवादि द्वारा एक स्थान से उठा कर दूसरे स्थान पर ले जाया जाना। भावार्थ-५० प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश, कर्मभूमि में होते हैं या अकर्मभूमि में ? ... ५० उत्तर-हे गौतम ! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा कर्मभूमि में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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