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भगवती सूत्र - श. २५ उ ६ तीर्थ द्वार
भावार्थ - ३९ प्रश्न - हे भगवन् ! वकुश श्रुत कितना पढ़ते हैं ? ३९ उत्तर - हे गौतम! जघन्य आठ प्रवचन-माता और उत्कृष्ट दस पूर्व तक पढ़ते हैं । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील भी ।
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४० प्रश्न - कसायकुसीले - पुच्छा ।
४० उत्तर -- गोयमा ! जहणेणं अट्ट पवयणभायाओ, उक्कोसेणं चोदस पुव्वाइं अहिज्जेज्जा । एवं नियंठे वि ।
भावार्थ - ४० प्रश्न - हे भगवन् ! कषाय-कुशील श्रुत कितना पढ़ते हैं ? ४० उत्तर - हे गौतम ! जघन्य आठ प्रवचन-माता और उत्कृष्ट चौवह पूर्व पर्यन्त पढ़ते हैं । इसी प्रकार निग्रंथ भी ।
४१ प्रश्न - सिणाए - पुच्छा ।
४१ उत्तर -- गोयमा ! सुयवइरित्ते होना ७ ।
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भावार्थ - ४१ प्रश्न - हे भगवन् ! स्नातक श्रुत कितना पढ़ते ४१ उत्तर - हे गौतम! स्नातक श्रुतव्यतिरिक्त होते हैं ।
विवेचन - पाँच समिति और तीन गुप्ति-ये 'आठ प्रवचन - माता' कहलाते हैं । इनका पालन करना चारित्र रूप है । इसलिए चारित्र का पालन करने वाले को कम से कम आठ प्रवचन-माता का ज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि ज्ञानपूर्वकं ही चारित्र होता है । बकुश को जघन्य ज्ञान इतना होता है और उत्कृष्ट दस पूर्व का ज्ञान होता है ।
तीर्थ द्वार
४२ प्रश्न -- पुलाए णं भंते ! किं तित्थे होज्जा, अतित्थे होजा ? ४२ उत्तर -- गोयमा ! तित्थे होज़ा, णो अतित्थे होज्जा । एवं
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