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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ज्ञान द्वार
३५ उत्तर-गोयमा ! दोसु वा तिसु वा होजा । दोसु होमाणे. दोसु आभिणिबोहियणाणे सुयणाणे होजा, तिसु होमाणे तिसु आभिणिबोहियणाणे सुयणाणे ओहिणाणे होजा । एवं बउसे वि, एवं पडिसेवणाकुमीले वि।
कठिन शब्दार्थ--होमाणे--होता हुआ ।
भावार्थ-३५ प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाक में ज्ञान कितने होते हैं. ? . :
" ३५ उत्तर-हे गौतम ! दो या तीन ज्ञान होते हैं। यदि दो ज्ञान हो, तो आमिनिबोधिक ज्ञान और श्रुत ज्ञान होते हैं और तीन ज्ञान हो, तो आभिनिबोधिक ज्ञान, श्रुत ज्ञान और अवधि ज्ञान होते हैं। इसी प्रकार बकुश और प्रतिसेवना-कुशील भी।
३६ प्रश्न-कसायकुसीले णं-पुच्छा। , ३६ उत्तर-गोयमा! दोसु वा तिसु वा चउसु वा होजा । दोसु होमाणे दोसु आभिणिबोहियणाणे सुयणाणे होजा, तिसु होमाणे तिसु आभिणियोहियणाण-सुयणाण-ओहिणाणेसु होजा, अहवा तिसु होमाणे आभिणिबोहियणाण-सुयणाण-मणपजवणाणेसु होजा, चउसु होमाणे चउसु आभिणिबोहियणाण-सुयणाण-ओहिणाण-मणपजवणाणेसु होजा ? __ भावार्थ-३६ प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय-कुशील में ज्ञान कितने होते हैं ?
३६ उत्तर-हे गौतम ! दो, तीन या चार ज्ञान होते हैं। दो हों, तो आमिनिबोधिक ज्ञान और श्रुत ज्ञान, तीन हों, तो आमिनिबोधिक ज्ञान,
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