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भगवती सूत्र-श २५ उ. ६ प्रतिसेवना द्वार
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उत्तरगुणपडिसेवए होजा ?
३१ उत्तर-गोयमा ! मूलगुणपडिसेवए वा होजा, उत्तरगुण पडिसेवए वा होजा । मूलगुणपडिसेवमाणे पंचण्हं आसवाणं अण्णयरं पडिसेवेजा, उत्तरगुणपडिसेवमाणे दसविहस्स पञ्चपखाणस्स अण्णयरं पडिसेवेजा।
कठिन शब्दार्थ-अण्णयरं-अन्यतर-किसी भी।
. भावार्थ-३१ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि पुलाक, प्रतिसेवी होते हैं, तो क्या मूलगुणों के प्रतिसेवी होते हैं या उत्तरगुणों के ?
३१ उत्तर-हे गौतम ! मलगुणों के प्रतिसेवी भी होते हैं और उत्तरगणों के प्रतिसेवी भी। मूलगुणों के प्रतिसेवी होते हैं, तो पांच प्रकार के आश्रव में से किसी एक आश्रव के प्रतिसेवी होते है और उत्तरगुणों के प्रतिसेवी होते हैं, तो दस प्रकार के प्रत्याख्यानों में से किसी एक प्रत्याख्यान के प्रतिसेवी होते हैं।
३२ प्रश्न-बउसे णं-पुच्छा। ३२ उत्तर-गोयमा ! पडिसेवए होजा, णो अपडिसेवए होजा। भावार्थ-३२ प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश प्रतिसेवी होते हैं. ? ३२ उत्तर-हे गौतम ! प्रतिसेवी होते हैं, अप्रतिसेवी नहीं होते।
३३ प्रश्न-जइ पडिसेवए होजा कि मूलगुणपडिसेवए होजा, उत्तरगुणपडिसेवए होजा?
३३ उत्तर-गोयमा ! णो मूलगुणपडिसेवए होजा, उत्तरगुण
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